Tuesday 7 February 2012

$$ एक तू ही ना आया $$

$$ एक तू ही ना आया $$
चारो तरफ तस्वीर तुम्हारी नज़र आई....
बेबस है महफ़िलें, तडपती है तन्हाई....

निकलते गए दिन ये सांसे रूठती गयी....
एक तू ही ना आया पूरी दुनिया चली आई....

निवाले लबों तक आये तो भूख मर गयी....
ये कैसा मर्ज़ दे गयी है तेरी जुदाई....

बेखबर सा है मेरी चाहतो का वजूद अब....
सदियों से तेरी कोई खबर नहीं आई....

यादे ना रोक दें धड़कने किसी दिन राज....
हो ना जाए मेरी मोहब्बत कि रुसवाई....

Monday 6 February 2012

$$ तुझको भुलाते भुलाते $$


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Sunday 5 February 2012

$$ आफत-ए-इश्क $$


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Friday 3 February 2012

$$ मुझे पूरा भरोसा है $$

$$ मुझे पूरा भरोसा है $$

वो इक दिन लौट आएंगे मुझे पूरा भरोसा है....
कलेजे से लगाएंगे मुझे पूरा भरोसा है....

बहुत गुस्से में उठकर चल दिए थे जो कभी....
मुस्कुराकर बुलाएँगे मुझे पूरा भरोसा है....

बहुत मशरूफ रहने कि जो कोशिश कर रहे है....
कभी फुर्सत भी पाएंगे मुझे पूरा भरोसा है....

ये दुनिया बे-अमल हो जाए तो कुछ गम नहीं....
वो वादों को निभाएंगे मुझे पूरा भरोसा है....

रुला रुलाके दर्द का दरिया बना डाला मुझे तो क्या....
एक दिन बहुत हंसायेगे मुझे पूरा भरोसा है....

गुल-ए-गुलज़ार सी महकने लगेगी जिंदगी राज....
वो गुलशन फिर सजायेंगे मुझे पूरा भरोसा है....

$$ अपनों के सितम कि इन्तहा $$

 $$ अपनों के सितम कि इन्तहा $$
Aisa ajeeb mujhpe sitam dhata chala gaya,
Sab kuch humara lootkar samjhata chala gaya..

Humne hi diye the use khanjar inaam me,
Humi se ranjishe wo badhata chala gaya..

Humne hi uthaya tha use phool ki tarah,
Humi ko uska kaanta chubhata chala gaya..

Humne hi jalaaye the uske chirag-e-dar,
Humi ko wo andhero me dubata chala gaya..

Humne hi sambhala tha use Raj bhanwar me,
Humi ko wo lahro me bahaata chala gaya..

Saturday 28 January 2012

$$ हाल-ए-दिल $$

 $$ हाल-ए-दिल $$

कुछ इस तरह मेरा अक्स नज़र में छुपा लेना....
शेर जुबां पे रखना, गज़ल दिल में बसा लेना....
वक्त-ए-सफर में तुमको अकेले ही चलना है गर....
मेरी यादों का महल दिल के कोने में सजा लेना....
कोशिश कभी करना नहीं दिल तोडने कि फिर....
मुझे याद करना पहले फिर किसी को सजा देना....
यूँ तो हज़ार बातें तुम्हे कहनी थी मुझसे....
रोज आना मेरी लहद पे जो चाहे सुना लेना....
अगर एक फूल का हकदार भी नहीं है दीवाना....
मज़ार-ए-राज पर कांटो का गुलदस्ता चढा देना....

$$ पता नहीं क्यों? $$

$$ पता नहीं क्यों? $$

फिर से वादे निभाना है, पता नहीं क्यों?
फिर से मुस्कुराना है, पता नहीं क्यों?

उसने बस थोड़े दिनों कि मोहलत अता कि है....
फिर से ख्वाब सजाना है, पता नहीं क्यों?

उनसे कभी पूछूं कि आखिर माज़रा क्या है....
वो कहते है नहीं बताना, पता नहीं क्यों?

वो तो खुश है किसी गैर के दामन से लिपटकर....
मुझे भी कफ़न सजाना है, पता नहीं क्यों?

कोई हसरत कोई उम्मीद भी नहीं रही अब राज....
मिलने मगर जाना है, पता नहीं क्यों?